P3Y परमजी पप्र परमयोग
P3Y के पूरी प्रणाली में तीसरा P मतलब परम और Y मतलब योग. मतलब P3Y = P+P+P+Y (परमजी पप्र परमयोग)
परमयोग द्वारा मानसिक शांति मिलती है, अच्छी नींद आती है, बुद्धि – एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है मानसिक रोग दूर होते हैं, विद्यार्थी के याद शक्ति में बढ़ोतरी होती है, आइक्यू (IQ) लेवल बढ़ता है, मन काबु में रहता है, गुस्सा कम आता है, मन की खामियां और विकारता दूर होती है.
परमयोग के मुख्य तीन अंग है
- परमनाद
- परमसाँस
- परमध्यान
परमनाद
*परमनाद करने से हो रहे फायदे
बुद्धि का विकास, एकाग्रता बढ़ेगी, स्मरण शक्ति बढ़ेगी, फोटोजेनिक मेंमरी होगी-
रात को अच्छी नींद आए, मन के दोष दूर होते हैं, आध्यात्मिक उन्नति होती है, इसी जन्म में ईष्ट – देवी – देवता के दर्शन पा सकते हैं
आध्यात्मिक आलौकिक आनंद की अनुभूति होती है (जिन को शब्दों में बयान नहीं कर सकते), नसीब के आने वाले संकट और विघ्न दूर हो, तंत्र मंत्र, मैली विद्या, भूत प्रेत, वशीकरण की खराब असर दूर हो, ग्रह नक्षत्र हमारे लाभ में काम करें।
परमनाद करने का तरीका:
पैरों की स्स्थिति – पालथी मारकर /पद्मासन की स्थिति में /कुर्सी पर बैठकर या फिर आपकी अनुकूलता अनुसार पैरों को रखें। उसके बाद
- सीधे बैठे
- कमर सीधी
- गरदन सीधी
- मस्तक सीधा
- आंखें बंद
- होठ थोड़े से खुले
- आगे से दांत सटे हुए (रोटी काटने की परिस्थिति में)
- जीभ नॉर्मल परिस्थिति में उसकी जगह पर
- खुले होठ, बंद दांते, धीरे धीरे मुंह से सास को अपने फेफड़ों में भरे ( सांसों को भरते वक्त किसी भी प्रकार की आवाज ना करें)
- अब होठों को बंद कर दीजिए और दांतों को अंदर से खोल दीजिए
- फेफड़े में भरी सांसो को नाक से बाहर निकालिए, सांसों को बाहर निकालते वक्त भंवरा गुंजन करें ऐसे आवाज कीजिए इस आवाज को परमनाद कहते हैं।
यह हुआ एक परमनाद
परमनाद कब करना है
नित्य परमयोग
- सुबह उठते ही तुरंत
- स्नान करते ही तुरंत या फिर घर से बाहर निकलने से पहले यहां पर महिलाए रसोई घर में जाने से पहले या फिर किसी कार्य की शुरुआत करने से पहले।
- ऑफिस /नौकरी /व्यवसाय मे कार्य की शुरुआत करने से पहले
- दोपहर 12:00 बजे (काल /प्रहर बदलता है)
- शाम को 7:00 बजे (दिवा-बत्ती के समय) (काल /प्रहर बदलता है)
- रात को सोने से पहले अपने बेड में
- दिन के 24 घंटे मे कभी भी नए कार्य की शुरुआत करो तब
- मानसिक रोग दूर करने के लिए या फिर अपनी कोई भी बड़ी इच्छा जल्द से पूर्ण करने के लिए हर घंटे में 3 परमनाद कीजिए
- पूरे दिन में जब भी मन अशांत हो जाए तब जरूरत अनुसार
ध्यान रखिए परमनाद 1 से 10 कर सकते हैं लेकिन 1 घंटे के अंदर अंदर 10 से ज्यादा परमनाद नहीं कीजिए।
परमसांस
परमसांस के फायदे:
- बुद्धि का विकास होगा, योग्य समय मे योग्य निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी, काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, अभिमान, डंभ, दुराचार, व्यभिचार, अहंकार, आलस्य, जड़ता, यह हर एक प्रकार के विकार दूर होते हैं।
- पूरे दिन के दौरान मान काबू में रहता है आनंद में रहता है।
- आत्मविश्वास, होशियारी, चतुराई, हिम्मत बढ़ती है।
- वाणी की कठोरता दूर होकर वाणी की मिठास बढ़ती है।
- हर एक प्रकार के मानसिक रोग में तुरंत राहत मिलती है।
परमसांस करने का तरीका
पैरों की स्स्थिति – पालथी मारकर /पद्मासन की स्थिति में /कुर्सी पर बैठकर या फिर आपकी अनुकूलता अनुसार पैरों को रखें। उसके बाद
- टट्टार बैठे
- कमर सीधी
- गरदन सीधी
- मस्तक सीधा
- आंखें खुली
- होठ थोड़े से खुले
- आगे से दांत सटे हुए (रोटी काटने की परिस्थिति में)
- जीभ नॉर्मल परिस्थिति में उसकी जगह पर
- खुले होठ, बंद दांत, धीरे धीरे मुंह से सास को अपने फेफड़ों में भरे ( सांसों को भरते वक्त किसी भी प्रकार की आवाज ना करें)
- अब होठों को बंद कर दीजिए और दांतों को अंदर से खोल दीजिए
- फेफड़े में भरी सांसो को नाक से बाहर निकालिए, सांसों को बाहर निकालते वक्त किसी भी प्रकार की आवाज नहीं करनी है, इस को परमसांस कहते हैं।
यह हुआ एक परमसांस
परमनाद और परमसांस में फर्क इतना ही है की परमनाद करते वक्त आंखें बंद रहती है और नाक से सांस छोड़ते वक्त भंवरा गुंजन करें ऐसी आवाज निकलती है
जबकि परमसांस करते वक्त आंखें खुली रहती है और नाक से सांस निकालते वक्त किसी भी प्रकार की आवाज नहीं होती।
परमसांस कब करना है:
- दिन में 24 घंटे में जब भी मन अशांत हो जाए और मन को तुरंत शांत करने की जरूरत पड़ती है तब।
- जब भी गुस्सा आए, नकारात्मक विचार आए उसे दूर करने के लिए परमसांस करना है।
- विद्यार्थी अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले।
ध्यान रहे परमसांस 1 से लेकर 10 तक कर सकते हैं, लेकिन मन किसी कारण से अशांत है और 10 परमसांस करने के बाद भी शांत नहीं हो रहा उस परिस्थिति में 30 परमसांस कर शकते है।
परमनाद और परमसांस कब नहीं करने
- Vehicle जो आप खुद चला रहे हो, vehicle चलाते समय नहीं करना
- बहुत ज्यादा धूल चल रही हो, घुए का वातावरण है या फिर अति दुर्गंध वाली जगह है जहां पर आपका नाक आपको सांस लेने की परमिशन नहीं दे रहा है ऐसी जगह
- जब भी कोई सर्जन सर्जरी कर रहा हो उस दौरान, कोई बड़ी सी मशीन ऑपरेट कर रहे हो उस दौरान, या फिर आप अग्नि के पास काम कर रहे हो तब परमनाद और परमसांस नहीं करना।