P1 = परमजी
यह तस्वीर परमजी और परमजी के पावन चरण की है
P2 = पप्र
पप्र, परमजी के द्वारा दिया हुआ तरीका है। जिसके द्वारा आप अपनी तमाम इच्छाए, मनचाही वस्तुओं और अपने दुख, दर्द और बीमारी से मुक्ति पा सकते हो।
पप्र के 11 वाक्य नीचे दिए गए हैं।
- परमं शरणम गच्छामि
- हंसं शरणम गच्छामि
- अद्वैतम शरणम गच्छामि
- आनंदम शरणम गच्छामि
- चरणं शरणम गच्छामि
- हे परमजी
- मुझ पर कृपा करो
- सिर झुका कर परमजी को नमस्कार करता/ करती हूं
- आप अपने कोई एक इच्छा बोलिए (इच्छा वाक्य)
- इच्छा पूर्ण होते ही पकर में……… रुपए परमजी को दूंगा/ एक लीटर पानी परमजी को चढ़ाऊंगा/एक फूल परमजी को चढ़ाऊंगा।
- इच्छा पूर्ण होते ही पकर में……….. नए व्यक्ति को किसी भी माध्यम से P3Y सिखाऊंगा।
P3Y का प्रयोग कैसे करें, यह इस प्रकार है
- पहले एक से आठ वाक्य ऊपर दिए गए उसी क्रम में बोलिए। पहले पांच वाक्य परम जी के द्वारा दिए गए मुख्य वाक्य है, जिसके द्वारा आपका परम जी की शक्ति के साथ संपर्क हो सकता है।
- छठे वाक्य में परमजी को हाथ जोड़ने हैं।
- सातवें वाक्य में परमजी को विनंती कीजिए कि आप मुझे आशीर्वाद दीजिए।
- आठवें वाक्य में आप अपना सिर परमजी की और झुकाए
(यह बात ध्यान में रहे कि ऊपर दिए गए 1 से 8 वाक्य को आपको उसी क्रम में बोलने हैं। यह 1 से 8 वाक्य किसी भी भाषा में और किसी भी बोली में बदल नहीं सकते।)
- अब नव में वाक्य में आप अपनी इच्छा बोलिए।
नव में वाक्य में आप अपनी कोई भी एक इच्छा बोलिए, जो आप पूरी करवाना चाहते हो। यह इच्छा आप किसी भी भाषा में और बोली में बोल सकते हो।
- अब दसवां वाक्य
इस वाक्य में आप अपनी इच्छा पूर्ण होने पर अपनी आर्थिक परिस्थिति के अनुसार परमजी को कुछ रुपए देने का वचन देते हो। यह वाक्य आप किसी भी भाषा में और बोली में बोल सकते हो, लेकिन वाक्य की मूल समझ किसी भी अवस्था और परिस्थिति में बदल नहीं सकते।
- अब ग्यारहवा वाक्य
इस वाक्य में आप अपनी इच्छा पूर्ण होने पर निश्चित व्यक्ति को P3Y सिखाने का वचन देते हो। यह वाक्य आप किसी भी भाषा में और बोली में बोल सकते हो, लेकिन वाक्य की मूल समझ किसी भी अवस्था और परिस्थिति में बदल नहीं सकते।